एक देश में जहाँ नेता चुनने के लिए चुनाव होते हों वहाँ कोई तानाशाह आखिर बन कैसे जाता है ... और तानाशाह की परिभाषा आखिर होती क्या है .. लोकतंत्र के मायने ये हैं कि जहाँ जनता जिसे चाहे वही नेता बने और जनता जो चाहे वही नेता करे ... लेकिन तानाशाही ऐसे नहीं चलती ...कहने को लोकतंत्र वाले देश में भी तानाशाह रवैये के वाला नेता वही करता है जो वो चाहता है और सिस्टम वैसे ही चलने लगता है जैसे तानाशाह चाहता है .. फिर तानाशाह के सक्षम रहने तक लोकतंत्र की कोई आवाज़ नहीं रह जाती ...
आधुनिक इतिहास में जिन देशों में लोकतंत्र यानि चुनाव के जरिए नेता चुनने का रिवाज़ है वहाँ भी कई चुने गए नेता तानाशाह बन कर बैठे हैं ... एक ऐसा ही देश है बेलारूस ... रूस जैसे शक्तिशाली देश की सीमा से लगा बेलारूस छोटा सा देश है लेकिन इसके नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको का प्रभाव काफी बड़ा है ...लुकाशेंको 1994 से इस छोटे से देश के नेता बने बैठे हैं और देश को वैसे ही चलाते हैं जैसे अपनी मनमर्जी से कोई अपना घर चलाता है ...देश के राष्ट्रपति के तौर पर एलेक्जेंडर लुकाशेंको पहले ही कह चुके हैं कि ‘आपको देश को नियंत्रण में रखना ही पड़ता है असल मुद्दा ये है कि लोगों की जिंदगी बर्बाद नहीं होनी चाहिए ...’ लेकिन बेलारूस की सड़कों पर होने वाले विरोध प्रदर्शन बताते हैं कि वहां जनता की जिंदगी बर्बाद हो रही है
कहते हैं लोकतांत्रिक देश में भी सत्ता में बने रहने का नुस्खा अलेक्जेंडर लुकाशंको ने ही तैयार किया .. 1994 में अलेक्जेंडर लुकाशंको बेलारूस के राष्ट्रपति बने थे और तब से लेकर अब तक अपनी गद्दी पर कायम हैं .. इसके लिए उन्होंने 2004 में ही बेलारूस के संविधान में संशोधन करवा दिया था इस संशोधन के जरिए उन्होंने दो टर्म तक राष्ट्रपति रहने के प्रावधान को खत्म करवाया .. इसके बाद ही अलेक्जेंडर के ताउम्र राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ हो गया था ...
अलेक्जेंडर लुकाशेंको का जन्म एक बहुत ही साधारण परिवार में हुआ था .. पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी .. माँ ने दूध बेचकर पाला पोसा ... अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने एग्रीकच्लर एकेडमी से ग्रेजुएशन किया था .. 1975 से 1977 तक अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने बॉर्डर गार्ड के पॉलिटिकल इंस्ट्रक्टर के तौर पर काम किया था ..इसी दौरान लुकाशेंको कम्युनिस्ट यूथ ऑर्गनाइजेशन कोम्सोमॉल से भी जुड़े हुए थे ... इसके बाद उन्होंने 80 के दशक में सोवियत आर्मी ज्वाइन कर ली ... 1982 से लेकर 1990 तक लुकाशेंको ने पार्टी में कई पदों पर काम किया ..जिसके साथ लुकाशेंको अपना एक स्टेट फार्म भी चला रहे थे .... 1990 में सोवियत संघ के विघटन से ठीक पहले लुकाशेंको बेलारुस की सुप्रीम काउंसिल के लिए चुने गए थे ... कहते हैं लुकाशेंको बेलारूस की सुप्रीम काउंसिल के एकमात्र नेता थे जिन्होंने सोवियत संघ के विघटन के अग्रीमेंट का विरोध किया था ... लुकाशेंको ने कम्युनिस्ट फॉर डेमोक्रेसी के नाम से एक धड़ा तैयार कर लिया था ... 1994 में रूस की संसद को संबोधित करते हुए अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने सोवियत संघ के तर्ज पर एक नया युनियन बनाने की भी अपील की थी ... 25 अगस्त, 1991 को सोवियत संघ से अलग होकर बेलारूस आज़ाद देश बन गया था इसके बाद बेलारूस ने अपना नया संविधान बनाया.... 1994 में आए संविधान में राष्ट्रपति शासन प्रणाली अपनाई गई थी ... इसी व्यवस्था के तहत जून 1994 को बेलारूस में हुए पहले राष्ट्रपति चुनाव में लुकाशेंको बेलारूस के पहले राष्ट्रपति चुने गए...
राष्ट्रपति चुने जाने के बाद लुकाशेंको ने रूस के साथ अपनी नजदीकियां बनाईं रखीं ... उस वक्त रूस में बोरिस येल्तसिन का शासन हुआ करता था.... दोनों देशों में कई तरह के दोस्ताना समझौते हुए थे जिसमें आपसी सहयोग का भरोसा था ... राष्ट्रपति बनने के अगले साल ही लुकाशेंको ने रेफरेंडम के जरिए देश का राष्ट्रीय चिन्ह बदलवा दिया और रूसी भाषा को बेलारूसी भाषा जितनी ही मान्यता दिला दी .... कहने को ये जनमत संग्रह लेकिन विरोधियों को ये रास नहीं आया और इसका विरोध शुरू हो गया ... नतीजा ये हुआ कि 20 सांसद भूख हड़ताल पर बैठ गए जिनकी हड़ताल मारपीट कर तुड़वा दी गई .. अपनी शक्तियां बढ़ाने की चाह को पूरा करने में लुकाशेंको ने बिल्कुल देर नहीं लगाई और राष्ट्रपति बनने के दो साल के अंदर जनमत संग्रह के जरिए संविधान में संशोधन कर दिया ...इस संशोधन के बाद 1999 में होने वाले चुनावों को आगे बढ़ाकर 2001 में कर दिया गया .. इसी संशोधन के जरिए देश का स्वतंत्रता दिवस भी 27 जुलाई से बदलकर 3 जुलाई कर दिया गया था .. हालांकि इस संशोधन को लेकर हुए रेफरेंडम पर भी सवाल उठे .. इसका विरोध ना सिर्फ देश बल्कि युरोपियन युनियन और युनाइटेड स्टेट्स ने भी किया ... हालांकि इससे लुकाशेंको को कोई फर्क नहीं पड़ा .. अपनी संसद में महाभियोग का सामना कर रहे लुकाशेंको ने अपने वफादारों को लेकर अलग पार्लियामेंट्री असेंबली बना ली ... महाभियोग का याचिका को खारिज कर दिया गया ... इस नई संसद को पश्चिमी देशों ने मान्यता नहीं दी ...
1998 में रूस के सेंट्रल बैंक ऑफ रशिया ने बेलारूस की करेंसी रूबल में किसी तरह का व्यापार खत्म कर लिया .. इसका असर ये हुआ कि बेलारूस की करेंसी रूबल की वैल्यू बेतहाशा गिर गई ... इस पर कंट्रोल करने के लिए लुकाशेंको ने नेशनल बैंक ऑफ दी रिपब्लिक ऑफ बेलारूस की कमान अपने हाथ में ले ली और बैंक के सभी उच्च अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया .. लुकाशेंको ने इस आर्थिक संकट का पूरा दोष पश्चिमी देशों पर मढ़ दिया ... अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए लुकाशेंको ने दूसरे देशों के राजदूतों के खिलाफ भी कार्रवाई की .. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर काफी हंगामा हुआ और नतीजे के तौर पर युरोपियन युनियन के देशों और युनाइटेड स्टेट्स में लुकाशेंको की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया गया ...
2001 में बेलारूस में फिर चुनाव हुए और लोगों को बेहतर जिंदगी, कृषि और उद्योगों के क्षेत्र में बड़े बदलाव के वादे के साथ लुकाशेकों एक बार फिर राष्ट्रपति चुन लिए गए .. हालांकि इस चुनाव में भी लुकाशेंको पर धांधली के आरोप लगे थे ... कहते हैं इस चुनाव को जीतने में लुकाशेंको की मदद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी .. और इसके पीछे एक गैस पाइपलाइन को लेकर किया गया समझौता था ... कहते हैं 2003 में अमेरिका ने इराक पर कार्रवाई शुरू की थी तो बेलारुस सद्दाम के समर्थकों की मदद कर रहा था ... इतना ही नहीं लुकाशेंको ईरान और इराक के साथ हथियारों की डील भी कर रहे थे ... इसने अमेरिका को काफी नाराज कर दिया था ... इसी का नतीजा था कि 2005 में अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने बेलारूस को "the last remaining true dictatorship in the heart of Europe" करार दिया था ...
अपनी गतिविधियों से लुकाशेंको सिर्फ अमेरिका की आलोचना का शिकार नहीं हो रहे थे बल्कि उन्होंने य़ुरोपियन युनियन को परेशान भी कर दिया था .. इसकी वजह थी उस गैस पाइपलाइन की सुरक्षा जो रूस से बेलारूस होते हुए युरोप के देशों तक आ रही थी ... पोलैंड, लिथुआनिया और लात्विया के शामिल होने के बाद युरोपियन युनियन देशों की करीब 1000 किलोमीटर की सीमा बेलारूस से लगती है ...
इसी बीच अपनी लुकाशेंको अपनी शक्तियां बढ़ाने के लिए काम कर रहे थे ... उस वक्त के संविधान के मुकाबिक लुकाशेंको सिर्फ दो टर्म के लिए प्रेसीडेंट रह सकते थे ... लिहाजा 7 सितंबर 2004 को नेशनल टेलीविजन पर आकर लुकाशेंको ने ऐलान किया कि वो एक बार फिर संविधान में संशोधन करने जा रहे हैं .. ये संशोधन राष्ट्रपति की टर्म लिमिट को हटाने के लिए था ... अगले साल 2005 में बेलारूस मे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए ... विरोधियो ने मिलकर फैसला किया कि लुकाशेंको को हराने के लिए सभी मिलकर एक ही उम्मीदवार उतारेंगे ... उस उम्मीदवार का नाम था अलेक्जेंडर मिलिंकीविच ... इस चुनाव के दौरान अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने खुले तौर पर चेतावनी दी थी कि अगर कोई भी विरोधी पार्टियों के प्रदर्शन में शामिल होता है तो उसे आतंकी माना जाएगा ... लुकाशेंको ने कहा "We will wring their necks, as one might a duck"...
हालांकि लुकाशेंको की धमकियों का कोई असर नहीं हुआ .. एक्जिट पोल के नतीजे आते आते ही सड़क पर प्रदर्शनकारी जुटने लगे और बेलारूस ने उस वक्त तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन देखा ... लुकाशेंको चुनाव जीत गए ... युरोपियन युनियन के देशों ने इसे अवैध करार दिया ... यहां तक कि रूस ने भी इस चुनाव में धांधली की बात कही .... चुनाव जीतने के कुछ ही दिनों के अंदर लुकाशेंको ने 2011 में फिर चुनाव में हिस्सा लेने की बात का ऐलान कर दिया .. हालांकि अगला चुनाव 2010 में ही हुआ और एक बार फिर लुकाशेंको की ही जीत हुई ... इस बार राष्ट्रपति पद के लिए 10 उम्मीदवार खड़े हुए थे ...चुनाव से पहले ही सेंट्रल इलेक्शन कमीशन ने लुकाशेंको के जीतने का भरोसा जता दिया था .. कहते हैं जिस दिन चुनाव हुए पुलिस ने राष्ट्रपति पद के दो उम्मीवारों की पिटाई की ... सात उम्मीदवार गिरफ्तार कर लिए गए .. नतीजा एक बार फिर बड़े विरोध प्रदर्शन के तौर पर सामने आया ,,,हजारों लोग राजधानी मिंस्क में सड़कों पर उतर आए...जिस पर नियंत्रण करने के लिए सुरक्षा बलों ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया और कई लोगों की पिटाई भी की गई .. इसके बाद 2015 का चुनाव भी लुकाशेंको ने ही जीता और तब से अब तक वो राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं ..
एक बार फिर बेलारूस में चुनाव हैं और एलेक्जेंडर लुकाशेंको राष्ट्पति पद के उम्मीदवार हैं ... इस बार उन्हें 37 साल की स्वेतलाना तिखानोवस्काया नाम की एक टीचर चुनौती दे रही हैं ... स्वेतलाना कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहती थीं लेकिन अपने पति की बेवजह गिरफ्तारी के बाद उन्होंने लुकाशेंको को चुनौती देने की ठानी ... स्वेतलाना को बड़े पैमाने पर समर्थन मिल रहा है और बेलारूस को बदलाव की उम्मीद है ...
एलेक्जेंडर लुकाशेंको बेलारूस को अपने तौर तरीकों से चलाना चाहते हैं लिहाजा सब कुछ सरकार के कब्जे में है... लुकाशंको की आर्थिक नीति अनिश्चित और कथित मार्क्सवादी दृष्टिकोण वाली रही है... यहां के 80 फीसदी संसाधन पर सरकार का नियंत्रण है .... और लुकाशेंको की नीतियों की वजह से बेलारूस की अर्थव्यवस्था रूस पर निर्भर है ... रूसी समर्थन की वजह से ही बेलारूस में समय पर वेतन और पेंशन का भुगतान हो पा रहा है...
बेलारूस को रूस में मिलाए जाने की खबरें भी यहां की जनता को परेशान करती रहती है ... क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद लोगों में ये डर और बढ़ चुका है ... लुकाशेंको बोरिस येल्तसिन के समय मे भी इस तरह के समझौते पर चर्चा कर चुके हैं ऐसे में लोगों को लगता है कि एक बार फिर ऐसे किसी समझौते के जरिए बेलारूस और रूस मे कोई गठजोड़ हो सकता है ...
बेलारूस में मानवाधिकार हनन के कई मामले सामने आते रहते हैं .. विपक्षी दलों के नेताओं को नजरबंद करने की खबरें आम हो चुकी हैं ... कहते हैं लुकाशंको की कैबिनेट के ही दो सदस्य रहस्यमय तरीके से गायब हो चुके हैं..मीडिया पर सरकार का ही नियंत्रण है ... बेलारूस कई मायनों में यूरोप के दूसरे देशों से अलग है... ये यूरोप का आख़िरी ऐसा देश है जहां अब भी मौत की सज़ा का प्रावधान है...
जून 2016 में एलेक्जेंडर ने कहा था कि मैं जो इस मंच से बोल रहा हूं वही आपके लिए कानून है ... कुछ इसी तरह से लुकाशेंको अपना देश चला रहे हैं ... दरअसल अपने तानाशाही मिजाज की झलक लुकाशेंको ने 2003 में ही दे दी थी जब उन्होंने कहा था An authoritarian style of rule is characteristic of me, and I have always admitted it," लुकाशेंको ने ये भी कहा "You need to control the country, and the main thing is not to ruin people's lives."
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