अपने खत्म हो रहे
खज़ाने से अंतिम सफर की ओर बढ़ रहे इस्लामिक स्टेट ने दुनिया में अमन चैन चाहने
वालों को सुकून की सांसें ज़रूर दे दी हैं लेकिन क्या इस्लामिक स्टेट का खात्मा इस
बात की गारंटी देता है कि भविष्य में दहशतगर्दी फैलाने वाले ऐसे ग्रुप पैदा नहीं
होंगे ... खासकर तब जब दुनिया में सुपरपावर की पहचान रखने वाला अमेरिका इस्लामिक
स्टेट को दुनिया से खत्म करने की बात कर रहा हो ... ये सवाल इसीलिए है क्योंकि
परोक्ष रूप से सीरिया के फ्रीडम फाइटर्स को इस्लामिक स्टेट का बैनर देने वाला
अमेरिका ही है .. और इस्लामिक स्टेट ही क्यों अलकायदा, ओसामा बिन
लादेन और सद्दाम हुसैन इन सब को मजबूती देने वाला अमेरिका ही रहा है ।
मौजूदा वक्त में इस्लामिक स्टेट
के खिलाफ लड़ाई अपने अंतिम दौर में है ... इंटरनेशनल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ
रैडिकलाइजेशन एंड पॉलिटिकल वॉयलेंस की एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक स्टेट
की इनकम साल 2014 में 1.9 अरब डॉलर से घटकर 2016 में 87 करोड़ डॉलर तक ही रह गई
है... तेल, डोनेशन के तौर
पर पाने वाली रकम और अपने कब्जे वाले इलाकों में टैक्स के जरिए कमाई करने वाला ISIS अपनी ताकत के साथ साथ
कमाई का जरिया भी खोता जा रहा है ... अगस्त 2014 से अब तक IS, इराक में सीरिया में इस्लामिक स्टेट अपने काफी इलाकों को
खो चुका है।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति
डोनाल्ड ट्रंप इस्लामिक स्टेट को लेकर अपने इरादे साफ कर चुके हैं ... लेकिन
ये अमेरिका ही है जिसने तेल वाले इलाकों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लालच में
सीरिया के फ्रीडम फाइटर्स को हथियार और ट्रेनिंग दी .... वही फ्रीडम
फाइटर्स बाद में आईएसआईएस के बैनर तले लड़ रहे हैं ... सीरिया, लीबिया और इराक तीनों
ही मुल्कों की पहचान उनके तेल के खजाने को लेकर है... लेकिन इन मुल्कों को अपनी ही
ज़मीन में मौजूद खजाने का कभी फायदा नहीं मिल सका..और इसी तेल को अपनी मिल्कियत
बनाने के लिए अमेरिका ने ISIS को आगे बढ़ाया..अमेरिका के इस नापाक काम में उस वक्त सऊदी अरब और
तुर्की ने भी उसकी मदद की... इंसानियत के लिए आर्थिक मदद के नाम पर अमेरिका ने इन
आतंकवादियों का पेट भरा.. उस वक्त इंटरनेशनल फोरम ने भी अमेरिका की धौंस के सामने
चुप्पी साधे रखी ...लेकिन अमेरिका की ये चाल भी अल-कायदा की तरह उलटी पड गई...कभी
सीरिया में पनपने वाले इस्लामिक स्टेट के आतंक की आंच में अब पूरी दुनिया जल रही
है...और तेल के खजानों पर कब्जे के लिए शुरू की गई ये नापाक लड़ाई अब ग्लोबल
टेररिज्म बनकर पुरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुकी है...
इतना ही नहीं दुनिया को 1980 का वो दशक भी याद है जब
ईरान के खिलाफ इस्तेमाल के लिए केमिकल हथियार देकर अमेरिका ने सद्दाम को सद्दाम
हुसैन बनाया... इसका अंजाम क्या हुआ ये भी दुनिया को याद है ... इसी तरह अमेरिका
के ही हाथों अल कायदा और ओसामा बिन लादेन का जन्म हुआ ... बाद में अमेरिका को इनके
खिलाफ अमेरिका को अपनी पूरी ताकत लगानी पड़ रही है ... अमेरिका ने हाल ही में
सत्ता परिवर्तन देखा है ... डोनाल्ड ट्रंप ने ना सिर्फ ISIS बल्कि ऐसे किसी भी Radical terrorist
group को
खत्म करने की बात कही है बल्कि इनकी फंडिंग के खात्मे के लिए इंटरनेशनल लेवल पर
काम करने की बात भी कर रहे हैं ... लेकिन क्या ऐसा होगा ...
आतंकवाद
के इतिहास पर नज़र डाले तो दुनिया के जिन मुल्कों ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया
उन्होंने बाद में उसकी कीमत चुकाई है, फिर वह देश चाहे भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस या अमेरिका कोई भी हो... इसलिए ज़रूरत है कि आतंकवाद के
खिलाफ ज़मीनी और जातिय सीमाओं से बाहर आकर निपटा जाए और पूरी ईमानदारी के साथ
निपटा जाए... आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई महायुद्ध
तक जारी रखी जाए, जब तक ये पूरी तरह से खत्म न हो जाए, क्योंकि सही मायने में आतंकवाद
पूरी मानवता के खिलाफ है..
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