केंद्र
सरकार इन दिनों पार्टी के अंदर
और बाहर आलोचना झेल रही है ...
एक
तरफ राहुल गांधी हैं जो पदयात्रा
के दौरान मोदी सरकार की नीतियों
की आलोचना कर रहे हैं ...
तो
वहीं वरुण गांधी भी हैं जो
मोदी सरकार पर उद्योगपतियों
का साथ देने और गरीबों से मूंह
फेरने का आरोप लगा रहे हैं ...
दिलचस्प
बात ये है कि आलोचना चाहे पार्टी
के अंदर से हो रही है या फिर
पार्टी के बाहर से,
आलोचना
करने वाला गांधी परिवार ही
है ...
इत्तेफाक
है कि सियासी विरोधी माने जाने
वाले राहुल गांधी और वरुण
गांधी के सुर एक जैसे ही हैं
...
एक
केन्द्र सरकार की नीतियों के
खिलाफ एक खुलकर सवाल उठा रहा
है दूसरा इशारो-इशारों
में...सवाल
उठता है कि क्या पॉलिसी को
लेकर उठाए गए ये कॉमन सवाल
किसी भविष्य की सियासत का
इशारा दे रहे हैं...सवाल
ये भी उठ रहे हैं कि क्या वाकई
मोदी सरकार की नीतियों में
ऐसा कुछ है जो बीजेपी के भीतर
ही नेताओं की बेचैनी को बढ़ा
रहा है...
असल
में राजनीति के केन्द्र में
गांधी परिवार अक्सर आ ही जाता
है...देश
की सत्ता गांधी परिवार के इर्द
-गिर्द
ही घूमती रही है...वरुण
गांधी अगर बीजेपी संगठन का
हिस्सा रहते हुए भी अक्सर
सरकार के खिलाफ बयानबाजी कर
देते हैं तो उनकी मां मेनका
गांधी भी पार्टी लाइन से अलग
हटकर कई बार बोल चुकी हैं...वो
भी ऐसे वक्त में जबकि बीजेपी
अटल जी वाली बीजेपी नहीं बल्कि
मोदी-शाह
युग की बीजेपी है जहां पॉलिसी
से लेकर पॉलिटिक्स तक को तय
करने का एकाधिकार सिर्फ एक
जगह केन्द्रित हो चुका है...
मगर
ये गांधी परिवार का ही प्रभाव
है जिसके चलते वरुण गांधी और
मेनका गांधी के बार-बार
पार्टी लाइन क्रॉस कर जाने
के बाद भी उनके
विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं
होती …
देश
की राजनीति भी दिलचस्प रही
है ...
कहा
जाता है कि जवाहर लाल नेहरु ने अटल जी के शुरुआती राजनैतिक
दौर में ही अटल जी के अंदर
अद्भुत नेतृत्व क्षमता की
झलक देख ली थी और भविष्य में
आगे चलकर ये सही भी साबित हुई
...
बाद
में जब कांग्रेस के कमजोर होने
पर बीजेपी केंद्र की सत्ता
में आई और अटल जी प्रधानमंत्री
बने तब उन्होंने प्रधानमंत्री
रहते हुए सोनिया गांधी को हर वो
राजनैतिक अवसर दिया जिसकी
बदौलत सोनिया खुद को एक परिपक्व
नेता के रूप में स्थापित कर
सकीं और अपने विरोधियों का मूंह
बंद करा दिया ...
जब-जब
सोनिया गांधी की तरफ से कोई
भी सुझाव अटल जी के पास जाया
करता था ..
अटलजी
ना सिर्फ उसे गंभीरता से लेते
बल्कि उस पर काम भी करते थे
...
इस
तरीके अटल जी अपने सियासी
विरोधी का कद बढ़ाते रहे ...
इस
बार मामला कुछ अलग है...
इस
बार समूचे गांधी परिवार के
निशाने पर नरेंद्र मोदी है
...
राहुल
और वरुण दोनों अपने-अपने तरीकों
से मोदी सरकार का विरोध कर रहे
हैं ...
इसमें
खोखलापन बिल्कुल नहीं है...अब
मानने वाले इसे गांधी परिवार
की नूराकुश्ती भले ही मान लें
मगर सच ये है कि पार्टी लाइन
से अलग हटकर बोलना वरुण के लिए
नया नहीं है...सवाल
उठता है कि क्या पॉलिसी मैटर
के बहाने भविष्य की किसी नई
सियासत की नींव रखी जा रही
है...जिसके
केन्द्र में एक बार फिर गांधी
परिवार ही रहने वाला है....
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