आरक्षण को लेकर जनार्दन द्विवेदी का बयान और
खाप पंचायतों को लेकर पी चिदंबरम का बयान कांग्रेस पार्टी में transformation
के
दौर का indicator है .. कांग्रेस को लगने लगा है कि अब अम्ब्रेला
पॉलिटिक्स का दौर खत्म हो रहा है ..
दिल्ली लोकसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि
देश में अब पारंपरिक तरीके से राजनीति करना आसान नहीं रह गया है ...Media के Explosion
और
ग्लोबल विलेज की संस्कृति ने लोगों की सोच को बदलकर रख दिया है... अब जो संस्कृति
विकसित हो रही है ..उससे
देश का मतदाता जागरुक हो चुका है... वो जाति संप्रदाय की सीमा से बाहर विकास,
भ्रष्टाचार
मुक्त शासन-प्रशासन, रोजगार, शिक्षा और अच्छी
व्यवस्था को तरजीह दे रहे हैं ... और शायद यही वजह है कि कांग्रेस के दो जिम्मेदार
नेताओं की तरफ से दो अहम मुद्दों पर बहस की पहल की गई है ... जहां जनार्दन
द्विवेदी ने रिजर्वेशन का मुद्दा उठाया है तो वहीं चिदंबरम ने खाप की संस्कृति पर
बहस छेड़ दिया है...
इन मुद्दों को विरोध होना तय है .. हो भी रहा
है लेकिन जो पार्टियां ये विरोध कर रही हैं और अभी भी वही पुराने चुनावी मुद्दे
लेकर आगे बढ़ रही हैं वो शायद समाज की नब्ज नहीं पकड़ पा रहीं... अभी भी कुछ दलों
के लिए सियासत के ओर और छोर पर जाति ही है...सियासी दलों के सत्ता तक पहुंचने की
सीढ़ी यहीं जातियां हैं...
भारतीय जनता पार्टी जानती है कि उसके पास अगड़ी
जातियों का वोट बैंक है ... लेकिन अगर उसे सत्ता में आना है तो उसे बैकवर्ड क्लास
और मोस्ट बैकवर्ड क्लास का समर्थन चाहिए होगा ... और जब ये कॉम्बिनेशन बनेगा तो
बीजेपी सत्ता में स्थान बना पाएगी ... यानि बीजेपी के लिए जो फॉर्मूला बन रहा है
वो है
अगड़ी जाति+अति पिछड़ा+महादलित= सत्ता
इसी तरह समाजवादी पार्टी के पास परंपरागत
मुस्लिम और यादव वोटबैंक रहे हैं...लेकिन अगर इससे अगड़ी जातियां जुड़ जाएं..तो
समाजवादी पार्टी को सत्ता सुख मिल सकता है...
मुस्लिम+यादव+अगड़ी जाति= सत्ता
बीएसपी का परंपरागत वोटबैंक है दलित जो कभी
कांग्रेस के साथ हुआ करता था लेकिन बीएसपी इस वोटबैंक में सेंध लगाने में कामयाब
हुई है ... मायावती सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेकर एक बार अगड़ी जाति को भी खुद
से जोड़ने में कामयाबी हासिल कर चुकी है लेकिन इसे बनाए रखने के लिए वो अगड़ी जाति
में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए रिजर्वेशन के मुद्दे को हवा दे चुकी हैं और
एक बार फिर जो समीकरण बनाना चाहती है वो दलित, मुस्लिम और अगड़ी जाति है ...
दलित+मुस्लिम+अगड़ी जाति= सत्ता
इसी तरह कांग्रेस कई साल से अम्ब्रेला पॉलिटिक्स
कर रही है ... लेकिन हाल के चुनाव परिणाम बताते हैं कि कांग्रेस को नए सिरे से
सोचने की जरूरत है .. और नया फॉर्मूला चाहिए .. जो जीत का गणित बन सके ... लिहाजा
कांग्रेस की कोशिश है कि इतनी कंफ्यूज़न Create कर दी जाए कि लोग वोट देने से पहले अपनी
परंपरागत सोच को परे रख दें ... वैसे भी कांग्रेस पर विरोधी divide and rule करने का आरोप
लगाते रहे हैं ..
आरक्षण का विरोध मनुवादी व्यवस्था के लोग करते आए हैं। मीडिया में भी मनुवादी सोच के लोग हावी हैं। आपका यह लेख उसी सोच का एक नमूना है।
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