
ये
भी मुमकिन है कि वोट की राजनीति
देश को विघटन की कगार तक पहुंचा
दे..हालात
ऐसे हो गए है कि कुर्सी और सत्ता
के लिए देश में सियासी दल खुलेआम
न्यायपालिका और संविधान की
धज्जियां उड़ाते नज़र आ रहे
हैं...
1984
में
ऑपरेशन ब्लू स्टार से पहले
श्रीमती इंदिरा गांधी पर आरोप
लगे थे कि पंजाब में अकाली दल
को शिकस्त देने के लिए उन्होने
संत भिंडरावाला को संरक्षण
दिया और उसे प्रोत्साहित भी
किया...हालांकि
कांग्रेस पार्टी और श्रीमती
इंदिरा गांधी भले ही अकाली
दल को शिकस्त देने में कामयाब
नहीं हो पाए लेकिन खुद अपने
ही बनाए गए कुचक्र के शिकार
जरूर हो गए..और
ऐसी ही नीतियों के बाद एक सीमा
के बाद जब आतंकवाद बेकाबू हो
गया था तो ऑपरेशन ब्लू स्टार
के हालात पैदा हो गए थे...
श्रीलंका
की तमिल समस्या और भारतीय मूल
के तमिलों को संरक्षण देने
के आरोप में कांग्रेस पार्टी
पहले से ही संदेह के घेरे में
रही है...तमिलनाडु
की क्षेत्रीय राजनीति का दबाव
और गठबंधन की मजबूरी कांग्रेस
पार्टी को अंतर्राष्ट्रीय
मंचों पर कई बार
आलोचना का शिकार भी बनाता रहा
है...श्रीलंका
के वही तमिल उग्रवादी जब भारत
के लिए भी मुसीबत पैदा करने
लगे तो भारतीय उपमहाद्वीप
में अमेरिका और चीन
की संभावित दखलंदाजी को रोकने
के मकसद से तत्कालीन
प्रधानमंत्री राजीव गांधी
को श्रीलंका में शांति सेना
भेजनी पड़ी...
नतीजा
ये हुआ कि इसकी प्रतिक्रिया
में तमिल उग्रवादियों के एक
गुट ने राजीव गांधी की हत्या
तक कर डाली...श्रीमती
इंदिरा गांधी की हत्या खालिस्तान
के समर्थकों ने की तो राजीव
गांधी की हत्या तमिल ईलम के
समर्थकों ने की...

क्षेत्रीयता,
जातीयता
और संप्रदायवाद की आड़ में
वोट की राजनीति करना क्षेत्रीय
दलों के लिए तो मजबूरी हो सकती
है लेकिन भारतीय जनता पार्टी
और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय
दलों को इस तरह के मुद्दों से
जरूर परहेज करना चाहिए...तमिल
कार्ड खेलने से पहले भी कांग्रेस
पार्टी पर आरोप लगते रहे हैं
कि वोट की राजनीति के लिए वो
नॉर्थ ईस्ट में सक्रिय विघटनकारी
ताकतों से मिलकर चुनाव लड़ती
है..इसके
साथ ही साथ आंध्रा,
बंगाल,
छत्तीसगढ़
औऱ झारखंड में भी चुनावों को
लिए नक्सलियों के साथ हमदर्दी
के आरोप भी कांग्रेस के दामन
पर लग चुके हैं..
हमारे
देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमा
पहले से ही अतिसंवेदनशील बनी
हुई है...देश
में लगातार बढ़ता नक्सलवाद
पहले से ही हमारी आंतरिक सुरक्षा
को लगातार चुनौती दे रहा
है...ऐसी
स्थिति में इस तरह के जज्बाती
मुद्दों को उछालकर वोट हासिल
करने का जो खेल शुरू हुआ है...वो
आने वाले समय में देश की आंतरिक
और बाहरी सुरक्षा के लिए भी
गंभीर चुनौती बन सकता है...
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