
दक्षिण
में वाइएसआर रेड्डी कांग्रेस
का चेहरा माने जाते थे ...
वाइएसआर रेड्डी
गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद
नेताओं में से एक थे ...
एन टी रामा
राव के बाद वाइएसआर रेड्डी
ने ही कांग्रेस को आंध्र प्रदेश
की राजनीति में जिंदा किया
.... लेकिन
वाइएसआर रेड्डी की अचानक मौत
होने के बाद कांग्रेस ने कमान
किरण रेड्डी के हाथों सौंप
दी ... नतीजा
ये हुआ कि वाइएसआर रेड्डी के
बेटे अपने रिश्तेदारों और
समर्थकों के साथ पार्टी से
अलग हो गए .. जब
किरण रेड्डी कांग्रेस की हिली
हुई नींव को मजबूती देने में
फेल रहे तो अलग तरह की राजनीति
शुरु हो गई ...जगनमोहन
रेड्डी को टैंटरहुक पर रखने
के लिए आय से अधिक संपत्ति का
मामला दर्ज कराया गया ..
सवाल ये उठते
हैं कि क्या जगनमोहन रेड्डी
के पास संपत्ति रातों रात आ
गई थी ... और
नहीं तो जब टीडीपी को हटाकर
वाइएसआर रेड्डी की अगुआई में
कांग्रेस की सरकार बनी तब क्या
उनका परिवार भ्रष्टाचार में
लिप्त नहीं था ...

तेलंगाना
विधेयक जैसे किसी भी बिल पर
Council of
ministers का
collective फैसला
होता है...
अब
भले ही
तेलंगाना बिल लोकसभा में पास
हो गया हो लेकिन इस पर हुए
विरोध ने कई सवाल खड़े कर दिए
हैं ... मसलन
इस बिल पर हुआ फैसला क्या
council of
ministers का नहीं
था और अगर था तो फिर उसी काउंसिल
के कुछ सद्स्य इसका विरोध कर
संसदीय प्रणाली का मज़ाक क्यों
उड़ा रहे थे ...
और अगर उनके
ऐतराज़ के बाद भी तेलंगाना
बिल लाया गया तो उन मंत्रियों
ने इस्तीफा क्यों नहीं दिया
और अगर उन्हें ऐतराज़ नहीं
था और फिर भी वो विरोध कर रहे
थे तो प्रधानमंत्री ने उन्हें
बर्खास्त क्यों नहीं किया
...
इन
घटनाओं से एक बार फिर साबित
हो गया है कि कांग्रेस पार्टी
और उसके नेतृत्व की कार्यशैली
autocratic है
... ठीक
वैसी ही जैसी श्रीमती इंदिरा
गांधी के कार्यकाल में होती
थी ... कहा
जाता है कि उस वक्त कैबिनेट
का एजेंडा पहले से तय होता था
मंत्री सिर्फ उसपर साइन किया
करते थे ...
सोनिया,
राहुल या
फिर प्रधानमंत्री भले ही कम
बोलते हों लेकिन इनका रवैया
वही है ...
भले ही
conviction में
कमी आ गई हो लेकिन आज भी वही
हो रहा है ..
ऐसे
में इससे पार्टी का फायदा हो
या ना हो लेकिन पिछले कुछ दिनों
में हुए घटनाक्रम ने संसदीय
कार्यप्रणाली पर और healthy
democracy पर एक
बदनुमा दाग जरूर लगा दिया है
... और
इससे अराजक तत्वों को मौका
मिल रहा है कि वो अपने हिसाब
से संविधान की व्याख्या कर
सकें ... और
गैरसंवैधानिक कामों को सही
ठहरा सकें
Not impressed. Infact, the sudden demise of YSR weaken the congress in AP as there was no second line , congress top leadership was confused, was not appraised of real cult and ground situation of AP and underestimated Jagan Mohan Reddy. The disturbed political situation/political instability gave chance to KCR who grabed the opportunity to garner his base which he was loosing during the dynamic and populist leadership of YSR and once again raised this contentious issue of Telangana demand............and ends today but by totaly undemocratic / atocratic way. One thing more what BJP always boost for dividing 3 states , I challenge BJP even could not achieve consensus among both the region either, BJP is just clicking only with wrong doings of Congress , they are hypocrite with same policies what Congress has on his platter.
जवाब देंहटाएं