अमेरिका
में डिप्लोमैट देवयानी के साथ किए गए बर्ताव पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखने
को मिली है ... सड़क से लेकर संसद तक इस मसले पर सब इस वाकये को भारत के सम्मान पर
हमला बता रहे हैं .. और एक बार फिर ये बहस शुरु हो गई है कि क्या भारत को अपनी
विदेश नीति बदल लेनी चाहिए
क्या
अमेरिका किसी और देश के राजनयिक के साथ इस तरह के मामले में यही हरकत करता या फिर
भारत की सॉफ्ट स्टेट की छवि हमारे डिप्लोमैट्स के लिए मुश्किल और कभी कभार
अपमानजनक साबित हो रहा है ..
ये
वो सवाल हैं जो हर बार अमेरिका की दादागिरी और भारत को टेकेन फॉर ग्रांटेड लेने
वाली हरकतों के बाद जेहन में आते हैं
.... देश में चाहे यूपीए की सरकार हो या
फिर एनडीए की आखिर क्यों भारत अमेरिका के सामने घुटनाटेकू नीति अपनाता है ... आखिर
क्यों हम अमेरिका के इन हथकंडों का जवाब नहीं दे पाते ...
ये
सारे सवाल इसीलिए क्योंकि कई बार ऐसे मौके आए हैं जब अमेरिका ने भारत के जाने माने लोगों के साथ इस
तरह का बर्ताव कर दुनिया भर में भारत की छवि खराब की है और दुख की बात ये है कि
भारत की सरकार ने ऐसे मामलों में चुप्पी
साध ली ...

आपको
साल 2010 में अमेरिका में भारत की राजदूत मीरा शंकर के साथ हुआ वाकया भी याद होगा
.. जब मिसीसिपी में साड़ी पहने हुए मीरा शंकर को लाइन से बाहर कर उनकी चेकिंग की गई
थी ... जबकि राजदूतों को इस तरह की जांच से छूट मिली हुई है ...
अपनी
फिल्म के प्रोमोशन के लिए अमेरिका गए शाहरुख खान भी इस तरह के वाकये से दो चार हो
चुके हैं ...नेवार्क एयरपोर्ट पर रोके गए शाहरुख खान को भारतीय दूतावास के दखल के
बाद ही छोड़ा गया था ...
दरअसल
भारत के लोगों के लिए अमेरिका का ये रवैया एक दो दिनों में नहीं बना है ... भारत
के सॉफ्ट अप्रोच ने अमेरिका को इतनी छूट दे दी है कि सुरक्षा जांच या कानून के नाम
पर वो भारत के पूर्व राष्ट्रपति, रक्षा मंत्री, नेताओं, डिप्लोमैट्स और कलाकारों के साथ ऐसा बर्ताव करने से बाज़ नहीं आता
...
हम
जिन घटनाओं का जिक्र कर रहे हैं ये सारी मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुई हैं
लेकिन क्या हुआ भारत के सॉफ्ट विरोध जताने पर कभी अमेरिका ने माफी मांगी तो कभी
उल्टे भारत पर ही अपनी आंखें तरेर दीं .. लेकिन सिलसिला कभी रुका नहीं

उन्हीं
दिनों करगिल युद्ध में भी भारत पर अमेरिका
का दवाब दिखा था ... युद्ध की शुरुआत में कई भारतीय सैनिक मारे गए थे .. लेकिन बाद
में भारतीय सेना उन पर हावी हो गई थी और कई पाक सैनिकों को घेर लिया गया था लेकिन
उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिटंन के दवाब में भारत उन पर कोई कार्रवाई
नहीं कर पाया और उन्हें सेफ पैसेज दे दिया गया ..

इसी
अमेरिकी सुपरपावर को 1971 में भारत पाक युद्ध के दौरान इंदिरा गांधी ने करारा जवाब
दिया था.. इंदिरा गांधी के तेवर की वजह से अमेरिका को अपना सातवां बेड़ा वापस
बुलाना पड़ा .. जो अमेरिका ने पाकिस्तान के पक्ष में युद्ध लड़ने के लिए भेजा था
...
क्या
आज भी हम अमेरिका को ऐसा जवाब नहीं दे सकते ... दरअसल भारत में राजीव गांधी के बाद
ऐसा कोई प्रधानमंत्री नहीं आया जिसने अमेरिका को इतना कड़ा जवाब देने की हिम्मत
दिखाई हो ... जवाब देने के नाम पर हमेशा भारत विरोध जताता आया है वो भी तभी तक जब
तक अमेरिका की तरफ से प्रतिक्रिया ना आ जाए .. लेकिन इस नीति की वजह से
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हम अपनी वो साख गंवा चुके हैं ... इसी का नतीजा है कि भारत
में आज भी अमेरिकी काउंसलेट से मिलने के लिए पुलिस को परमिशन लेनी होती है लेकिन
अमेरिका में पुलिस सरेआम किसी भारतीय काउंसलेट को हथकड़ियां पहना सकती है ... जिसे
स्टैंडर्ड प्रोसीजर का नाम देकर अमेरिका अपनी हरकतें जारी रखता है ...
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