
दरअसल दिल्ली में चल रहा है माइंडगेम .. अब
सवाल ये है कि आखिर इस माइंडगेम का मकसद क्या है ? .. दिल्ली की सियासत इस वक्त तीन पॉलिटिकल पार्टीज़ के इर्द गिर्द घूम रही है
.... आम आदमी पार्टी के अलावा इसमें देश की दोनों बड़ी पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी
शामिल है ... ये दोनों पार्टियां लंबे अरसे से सियासत करती आई हैं और सत्ता का स्वाद
भी जानती हैं ऐसे में दोनों पार्टियां आम आदमी पार्टी को भी एक बार सत्ता का स्वाद
चखाना चाहती हैं ताकि उसे एक्सपोज़ किया जा सके ... उन वादों को एक्सपोज़ किया जा सके
जिसके दम पर आम आदमी पार्टी ने पॉलिटिक्स में धमाकेदार एंट्री की है ... केजरीवाल को
भी इन बातों का अंदाज़ा तो होगा ही लिहाजा वो भी खुद को बचाने की कोशिश में लगे हुए
हैं .. ऐसे में जो सियासी हालात बन रहे हैं उसमें एक बार फिर चुनाव होना तय माना जा
रहा है .... और कोई भी नेता सरकार बनाकर एक और चुनाव करवाने का आरोप अपने सिर नहीं
लेना चाहता ... वहीं केजरीवाल भी लोकसभा चुनावों तक आम आदमी के मन में उठे बदलाव की
लहर को बचाए रखना चाहते हैं ताकि लोकसभा के चुनावों में दिल्ली जैसा समर्थन पार्टी
को देश के दूसरे राज्यों में मिल सके .. ऐसा दिल्ली में सरकार बनाने के बाद आसान नहीं
रह जाएगा .... केजरीवाल दिल्ली में बिजली के दाम आधे कर देने, जनलोकपाल बिल 15 दिन में लेकर आने जैसे अव्यवहारिक वादे किए हैं ... केजरीवाल
भी जानते हैं कि इन्हें अमली जामा पहनाना कितना मुश्किल है ... लिहाजा आम आदमी पार्टी
समर्थन लेने की हालत में शर्तों का पुलिंदा लेकर आई है ...जिसमें दिल्ली से वीआईपी
कल्चर खत्म करने, MLA और काउंसलर फंड ख़त्म करने, फंड सीधे जनता को दिए जाने, लोकपाल बिल पास किए जाने,
दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने, बिजली
बिल 50 फीसदी से ज्यादा कम किए जाने और दिल्ली
में रिटेल में FDI लागू नहीं करने जैसी 18 शर्तें शामिल हैं ।


उत्तर प्रदेश में क्या हुआ
, वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी जब चुनाव प्रचार के लिए निकली तो तमाम ऐसे
वादे किए जिन्हें पूरा करना उनके अधिकार क्षेत्र में था ही नहीं ... चाहे वो एक वर्ग
विशेष को आरक्षण देने का मामला हो या फिर उस वर्ग विशेष के कुछ युवकों के संगीन अपराधों
में जेल में बंद होने का मामला हो .. पार्टी ने वादे किए और जीत हासिल की लेकिन फिर
क्या हुआ धीरे धीरे जनता के सामने हकीकत आ
रही है । केजरीवाल ने भी अपने वादों में लोकपाल बिल लाने का वादा किया है क्या वो बता
पाएंगे कि जिस दिल्ली को आज तक संपूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला उसके पास कानून बनाने
का पावर कब आया ?
जनता से इस तरह के वादे करने वालों को इतिहास
से सबक लेना चाहिए ये वही जनता है जो दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली पार्टी को
धूल चटा सकती है, ये वही जनता है जो उत्तर प्रदेश
में कई साल बाद बीएसपी को पूर्ण बहुमत दे सकती तो 5 साल बाद हरा भी सकती है,
ये वही जनता है जिसने उत्तर प्रदेश में पहली बार समाजवादी पार्टी को
रिकॉर्ड बहुमत दिया है ... ऐसे में नेताओं को ये समझना होगा कि वो जनता को गुमराह नहीं
कर सकते ना ही लंबे समय तक उनकी भावनाओं से खेला जा सकता है ।
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