आर्टिकल 370 को लेकर खड़ा हुआ बवाल नया
नहीं है .. भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार हमेशा 3 मुद्दों पर अलग से अपनी अलग राय
रखता रहा है... बीजेपी हमेशा से यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने,
आर्टिकल 370 हटाने और अयोध्या में रामजन्मभूमि निर्माण का वादा करती
रही है ... समय-समय पर ज़रूर बीजेपी ने सत्ता के दवाब के चलते
NDA के एजेंडे को मंजूर किया है और NDA के एजेंडे को आगे बढ़ाती रही है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि बीजेपी अपने
इन 3 मुद्दों से हट गई हो ... ये और बात है कि बीजेपी की तरफ से इन मुद्दों पर सबसे
ज्यादा आवाज़ चुनाव के पहले ही उठाई जाती रही है ।
इस बार भी आर्टिकल
370 पर चर्चा का मसला छेड़कर नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के उस एजेंडे को ही आगे बढ़ाया
है ..यहां सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है जिस आर्टिकल 370 पर चर्चा की बात कर रही है
उस आर्टिकल में है क्या ..आर्टिकल 370 की वजह से कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला
हुआ.. जिसके तहत यहां देश की संसद रक्षा, विदेश
और संचार से जुड़े मामलों को छोड़ कर किसी दूसरे मुद्दे पर बिना राज्य की सहमति के
कानून लागू नहीं करवा सकती.. साथ ही राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त
करने का भी अधिकार नहीं है. धारा 370 की वजह से ही 1976 का शहरी भूमि कानून भी जम्मू-कश्मीर
पर लागू नहीं होता... जिसका मतलब ये कि जो जम्मू कश्मीर का निवासी नहीं है वो जम्मू-कश्मीर
में ज़मीन नहीं खरीद सकता .... साथ ही दूसरे राज्य के निवासी से शादी करने वाली जम्मू
कश्मीर की महिलाएं भी यहां ज़मीन नहीं खरीद सकती हैं... इसके अलावा भारतीय संविधान
की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वो
भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
अब एक बार फिर
लोकसभा चुनाव होने वाले हैं... और बीजेपी की कोशिश नरेंद्र मोदी को आगे कर संघ और अपनी
पार्टी के मूल एजेंडे को आगे बढ़ाने की है ... पार्टी चाहती है कि नरेंद्र मोदी की
अगुआई में देश में अकेले दम पर सरकार बनाई जाए और शायद इसी रणनीति के तहत एक बार फिर
धीरे-धीरे इन 3 मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जा रहा है । ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी बगैर किसी राजनैतिक
Calculation के इस तरह के अतिसंवेदनशील और विवादास्पद मुद्दों को उछालते
रहे हैं ... इसके पीछे देश में मौजूद संघ, हिंदुत्व
और प्रखर राष्ट्रवाद की विचारधारा से प्रभावित करोड़ों लोगों को लामबंद करके दिल्ली
की सत्ता पर काबिज होना है ...
सत्ता हर कीमत
पर.. के रास्ते पर चल रहे नरेंद्र मोदी और उनके पीछे खड़ा संघ परिवार उन सभी राजनैतिक
हथकंडों को अपनाकर भारतीय जनता पार्टी को शीर्ष पर ले जाना चाहता है ...इसके लिए मोदी
अपनी रैलियों में ऐसे तमाम मुद्दों को उठा रहे हैं जो ना केवल कांग्रेस पार्टी को चुभती
हैं बल्कि चुनाव आयोग तक इन बयानो को लेकर आंखे तरेर चुका है...लेकिन मोदी हैं कि मानने
को तैयार ही नहीं.... मोदी के बयान जैसे कि
‘शहजादे क्या जाने गरीबी क्या होती है
कांग्रेस
वंशवाद की राजनीति छोड़े, मैं
शहजादा कहना छोड़ दूंगा
कांग्रेस
के खूनी पंजे से बचकर रहना होगा
कांग्रेस
ने देश को बर्बाद कर दिया
आर्थिक
बदहाली के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है
रुपया
और कांग्रेस दोनों में नीचे गिरने की होड़ लगी है
कांग्रेस
को शहीदों की फिक्र नहीं है
महंगाई
के मुद्दे पर कांग्रेस चुप्पी साध जाती है’
वक्त वक्त पर सियासी हंगामा खड़ा करते रहे हैं...इनकी
फेहरिस्त काफी लंबी है...लेकिन नजीर के लिए इतना ही काफी है...और ये बयान मोदी का एजेडा
साफ जाहिर करते हैं...मोदी अपनी प्रशासनिक क्षमता और बोलने की कला के दम पर भारतीय
इतिहास, उससे जुड़ी घटनाओं और महापुरुषों को भी अपने अलग ढंग से पारिभाषित
करते रहे हैं ..
‘सिकंदर गंगा के किनारे आया तो हार गया
बिहार
में नालंदा और तक्षशिला दो विश्वविद्यालय थे
चीन
अपनी जीडीपी में से 20 फीसदी शिक्षा पर खर्च करता है
श्यामा
प्रसाद मुखर्जी की मौत 1930 में लंदन में हुई थी।
जब
हम गुप्तवंश के बारे में सोचते हैं तो जेहन में चंद्रगुप्त मौर्य का नाम आता है...
पटेल
के अंतिम संस्कार में नेहरु शामिल नहीं हुए थे...’
मोदी विरोधी भले
ही उनके कम ऐतिहासिक ज्ञान का मज़ाक उड़ाते हों लेकिन ऐसा लगता है कि नरेंद्र मोदी
का हर दांव उस कहावत को सच साबित करने में लगा है कि राजनीति और युद्ध में सब कुछ जायज़
है और दोनों का लक्ष्य सिर्फ विजय हासिल करना है ...
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