
नरेन्द्र मोदी ने
खुद को गरीबी से जोड़ा, उन दिनों की याद दिलाई जब वो ट्रेन में चाय बेचा करते थे ।
मोदी ने कहा कि ये बीजेपी की महानता है कि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति आज
प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार है । मोदी ने ना सिर्फ इस बयान के जरिए सियासत में
परिवारवाद पर निशाना साधा बल्कि उस हर गरीब के दिल में जगह बनाने की कोशिश की जो
मेहनत-मजदूरी कर बड़े होने के ख्वाब देखता है । इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत
में ऐसे ही लोगों की तादाद ज्यादा है ।
इस रैली में शायद
पहली बार मोदी ने लाखों लोगों के सामने खुद को पिछड़ा वर्ग का बताया । झांसी में
मोदी ने ये बात यूं हीं नहीं कही, दरअसल बुंदेलखंड का वो इलाका ऐसा है जहां पिछड़े
वर्ग के लोगों की तादाद ज्यादा है । मोदी बोले कि वो पिछड़ा वर्ग से आते हैं ताकि
पिछड़े वर्ग के तमाम लोग उन्हें अपना रहनुमा समझ सकें । ये बुंदेलखंड के लिहाज से
खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां की सियासी बिसात पर पिछड़े वोंटो का अहम योगदान
है । इस रैली में मंच पर नेताओं की मौजूदगी भी सियासत के इसी गणित के हिसाब से थी
। मंच पर राजनाथ के बगल में कल्याण सिंह को जगह दी गई जो लोध जाति से हैं और
बुंदेलखंड में लोध जाति के वोटर्स ज्यादा है । मंच पर इसके अलावा उमा भारती और
विनय कटियार नज़र आए ।


मोदी ने अपने
भाषण में शायद पहली बार, भले ही परोक्ष रूप से, मुस्लिम युवकों को भी ये बताना
चाहा कि वो उनके हमदर्द हैं । मुद्दा बना
राहुल का बयान, जिसमें राहुल ने मुजफ्फरनगर और ISI कनेक्शन की बात की थी । मोदी ने कई सवाल उठाए, मसलन, एक सांसद को इंटेलिजेंस इतनी महत्वपूर्ण बातें क्यों
बताता है ? अगर मुजफ्फरनगर
वाली बात सही है तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ? और अगर ऐसा नहीं है, तो उन नौजवानों को बदनाम
क्यों किया जा रहा है ? दरअसल मोदी ने ये बात यूं हीं नहीं कही, मोदी ने इसके जरिए एक
साथ दो निशाने साधे, राहुल और इंटेलीजेंस एजेंसी पर सवाल खड़े किए ही, बिना सीधे
तौर पर कहे मुज़फ्फरनगर के पीड़ित नौजवानों को भी ये जता दिया कि बीजेपी उनके साथ
है, इसके साथ ही मोदी ने खुद पर गोधरा मामले में अल्पसंख्यक विरोधी होने के दाग को
धोने की कोशिश भी की ।
मोदी ने झांसी के
इस मंच पर अंग्रेजों के अत्याचार की तुलना कांग्रेस के अत्याचार से की । मोदी ने
कहा कि 1857 में जो नारा झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने दिया था वही नारा
आज भी लोगों को देना चाहिए ... लक्ष्मीबाई ने कहा था नहीं देंगे, नहीं देंगे,
अपनी झांसी नहीं देंगे, आज लोगों को कहना चाहिए नहीं देंगे, नहीं देंगे,
देश बेइमानों को नहीं देंगे । मोदी ने कहा- हम आंसू बहाने नहीं पोंछने आए
हैं, जनता ने देश को 60 साल कांग्रेस के हाथ में सौंपा है अब 60 महीने के लिए हमें
दे, हम आपकी तकदीर और देश की तस्वीर भी बदल देंगे ।
मोदी की लोकप्रयता का एक बड़ा कारण है..उनकी सधी हुई भाषा शैली और पहले से इकठ्ठा किए गए संबंधित सगह के बारे में तथ्य..और ऊपर से संघ में भाषण सिखाने की कला बहुत काम आ रही है..
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