राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार साबित कर दिया है कि राष्ट्रीय महत्व और दैवीय आपदा के मसलों पर संघ राजनीति से अलग हटकर काम करता रहा है। मुजफ्फरनगर हिंसा और आईएसआई के सवाल पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का बचाव करके आरएसएस ने एक बार फिर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है।
मुजफ्फरनगर हिंसा मामले में राहुल गांधी के दिए बयान पर आरएसएस ने बीजेपी की ओर से प्रधामंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से अलग रुख अपनाया है। आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबाले ने कहा है कि इंदौर की चुनाव रैली में राहुल गांधी का बयान एक हद तक ठीक है और केंद्र की यूपीए सरकार को ऐसी प्रवृतियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरुरत है।
संघ का ये रुख प्रधानमंत्री पद के बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के उस बयान से अलग है जिसमें मोदी ने कहा था कि कांग्रेस को उन युवकों के नाम बताने चाहिए वरना राहुल को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने एक सभा के दौरान कहा था कि मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद ISI के एजेंट पीड़ित युवकों से संपर्क बनाने की कोशिश में हैं।
साफ है कि संघ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर और दैवीय आपदा के वक्त उसकी सोच राजनीति और राजनीतिक फायदे से ऊपर की है। सबको पता है कि आरएसएस के दवाब में ही बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया और नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के आईएसआई वाले बयान की आलोचना की थी और इस आलोचना के पीछे नरेंद्र मोदी का मकसद था अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को ठीक करना और मुस्लिम युवाओं की हमदर्दी हासिल करना लेकिन आरएसएस नरेंद्र मोदी की इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता है और शायद यही वजह है कि संघ ने इस मुद्दे पर मोदी से अलग लाइन लेने में कोई परवाह नहीं की।
इतिहास गवाह है कि देश पर जब-जब दैवीय आपदा आई है, आरएसएस के स्वयंसेवकों ने आगे बढकर देश की सेवा की है। चाहे वो महाराष्ट्र में भूकंप की त्रासदी हो या उत्तराखंड पर आई प्राकृतिक आपदा, संघ के स्वयंसेवकों ने जरुरत के वक्त आगे बढ़कर लोगों की सहायता की। इतना ही नहीं, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत करा दी थी और इस दौरान जब इंदिरा गांधी पर जबर्दस्त अंतर्राष्ट्रीय दवाब था, उस वक्त भी आरएसएस ने राजनीति से परे हटते हुए इंदिरा गांधी के समर्थन की अपील की थी। संघ के लोगों ने तो इंदिरा के समर्थन में वोट तक दिए थे।
मुजफ्फरनगर हिंसा मामले में राहुल गांधी के दिए बयान पर आरएसएस ने बीजेपी की ओर से प्रधामंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से अलग रुख अपनाया है। आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबाले ने कहा है कि इंदौर की चुनाव रैली में राहुल गांधी का बयान एक हद तक ठीक है और केंद्र की यूपीए सरकार को ऐसी प्रवृतियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरुरत है।
संघ का ये रुख प्रधानमंत्री पद के बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के उस बयान से अलग है जिसमें मोदी ने कहा था कि कांग्रेस को उन युवकों के नाम बताने चाहिए वरना राहुल को अपने बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने एक सभा के दौरान कहा था कि मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद ISI के एजेंट पीड़ित युवकों से संपर्क बनाने की कोशिश में हैं।
साफ है कि संघ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर और दैवीय आपदा के वक्त उसकी सोच राजनीति और राजनीतिक फायदे से ऊपर की है। सबको पता है कि आरएसएस के दवाब में ही बीजेपी की तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया और नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के आईएसआई वाले बयान की आलोचना की थी और इस आलोचना के पीछे नरेंद्र मोदी का मकसद था अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को ठीक करना और मुस्लिम युवाओं की हमदर्दी हासिल करना लेकिन आरएसएस नरेंद्र मोदी की इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता है और शायद यही वजह है कि संघ ने इस मुद्दे पर मोदी से अलग लाइन लेने में कोई परवाह नहीं की।
इतिहास गवाह है कि देश पर जब-जब दैवीय आपदा आई है, आरएसएस के स्वयंसेवकों ने आगे बढकर देश की सेवा की है। चाहे वो महाराष्ट्र में भूकंप की त्रासदी हो या उत्तराखंड पर आई प्राकृतिक आपदा, संघ के स्वयंसेवकों ने जरुरत के वक्त आगे बढ़कर लोगों की सहायता की। इतना ही नहीं, जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था और भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश निर्माण की प्रक्रिया की शुरुआत करा दी थी और इस दौरान जब इंदिरा गांधी पर जबर्दस्त अंतर्राष्ट्रीय दवाब था, उस वक्त भी आरएसएस ने राजनीति से परे हटते हुए इंदिरा गांधी के समर्थन की अपील की थी। संघ के लोगों ने तो इंदिरा के समर्थन में वोट तक दिए थे।
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